घर-आँगन जो हरा भरा है है किस के, परिश्रम का ये फल, मेरी भार्या जो थके नहीं कभी, पर सोचे हर पल, कितने... घर-आँगन जो हरा भरा है है किस के, परिश्रम का ये फल, मेरी भार्या जो थके नहीं कभी, ...
हे नव दुर्गे हे जगजननी, दुष्टों का संहार करो तुम। हे नव दुर्गे हे जगजननी, दुष्टों का संहार करो तुम।
कुछ अल्फ़ाज़ माँ के नाम। कुछ अल्फ़ाज़ माँ के नाम।
दुर्गा पूजा पर एक सामयिक कविता 'माँ ' दुर्गा पूजा पर एक सामयिक कविता 'माँ '
माँ तुम बहुत प्यारी हो... माँ तुम बहुत प्यारी हो...